1947 में भारत का विभाजन सभी देशवासियों के लिए किसी सदमे से कम न था। यह घटना जितनी भयावह थी उतनी ही आवश्यक भी थी क्योंकि उस समय हिंदू और मुस्लिमों के बीच चल रहा यह विवाद देश में अराजकता, हिंसा और अशांति का कारण बन गया था जिसके फलस्वरूप अंततः 1947 में भारत-पाक विभाजन हुआ। उस समय देश कई रियासतों में बंटा हुआ था और समस्या यह थी कि इन रियासतों को किस प्रकार स्वतन्त्र देशों में विलय किया जाए। इसका निश्चय रियासतों के शासकों को ही करना था कि वे किस देश में विलयित होना चाहते हैं। भारत की ओर से रियासतों को स्वतंत्रता थी कि वे किस देश का चयन करें। वहीं पाकिस्तान की ओर से रियासतों को विभिन्न प्रकार के लालच दिये गये ताकि वे पाकिस्तान में विलय हो जाएं। अधिकतर हिंदू रियासतों ने जहां भारत में विलय होना मंज़ूर किया तो वहीं अधिकतर मुस्लिम रियासतें स्वतंत्र पाकिस्तान में विलय हुईं। कई रियासतों ने विलय होने से इनकार भी किया किंतु अंततः उन्हें विलयित होना पड़ा।
भारत में मौजूद रियासतों को पाकिस्तान में लाने के लिए वार्ताओं, धमकियों और दुर्घटनाओं का दौर एक साल तक चला और तत्पश्चात एकीकरण की लंबी प्रक्रिया चली। 1947 में सबसे पहले दो रियासतें पाकिस्तान में शामिल हुईं किंतु भारत-पाकिस्तान युद्ध के कारण मुस्लिम आबादी वाली अधिकांश रियासतें एक वर्ष के भीतर ही पाकिस्तान में सम्मिलित हो गयीं जो निम्नलिखित हैं: बहावलपुर© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.