दुनिया भर में, हर महीने लाखों टन अपशिष्ट या तो भूमि में दब जाता है या समुद्रों में डाल दिया जाता है, जो पर्यावरण की बड़ी समस्या बनती जा रही है। मेरठ में ही प्रतिदिन 800 मीट्रिक टन की अपष्टि पैदा होती है। भविष्य के अस्तित्व के लिए वैकल्पिक ऊर्जा स्रोत का नवीनीकरण और पुनःचक्रण करने की आवश्यकता को देखते हुए इस महीने, शहर की नगर निगम द्वारा एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट अपशिष्ट पदार्थों के माध्यम से ऊर्जा,खाद और बायोगैस (biogas) के उत्पादन की आवश्यकता पर जोर देती है।
यह सतर्कता है प्राधिकारी के, जो अनुपचारित कचरे की समस्या को समझकर उपयोग ढून्ढ निकाल रहे है। अपशिष्ट के विशाल पैमाने को और उससे जुड़े पारिस्थितिक समस्या को सामने लाना आवश्यक है, इसको ध्यान में रखते हुए विश्व भर के छविकारों ने अपने आधुनिक कलाकृतियों के माध्यम से उसपर चर्चा करने कीप्रेरणा देते हैं।
भारत के प्रसिद्द कलाकार, विवान सुन्दरम की एक मशहूर कलाकृति है ‘ट्रैश’ (Trash)। इसमें उन्होंने पूंजीवादी खपत से उत्पन्न हुई अपशिष्ट, और प्रयुक्त सामग्री कि अर्थव्यवस्था को दर्शाई है; दिल्ली में इसके एक प्रदर्शनी में उन्होंने वेस्ट पिकर (waste-picker) को भी इस कलाकृति के निरमान में शामिल किया।
घाना, अफ्रीका में पीटर ह्यूगो नाम के फोटोग्राफर नें तस्वीरों के माध्यम से इलेक्ट्रोनिक (electronic) अपशिष्ट के एक विशाल गड्ढे को दर्शाई है, जिस वजह से आस-पास के हज़ारों लोगों का घरेलू वातावरण दूषित है। इस कलाकृति का नाम है ‘परमानेंट एरर’ (Permanent Error), इलेक्ट्रोनिक भाषा में जिसका मतलब है स्थायी त्रुटी। ‘लैंडफिलहरमोनिक’ (Landfillharmonic) पाराग्युए में वादक का समूह है, जिन्होंने अपशिष्ट से वाद्य बनाये हैं । ऐसे विश्व में कई कलाकृति हैं, जो अपशिष्ट और पुनरावृत्ति के विषयों को दिलचस्प आकर दे रहे हैं।
संदर्भ:
1. https://www.amarujala.com/uttar-pradesh/meerut/61532121727-meerut-news
2. http://www.gallerychemould.com/exhibitions/vivan-show-2008/
3. https://www.mnn.com/lifestyle/arts-culture/stories/when-art-is-garbage
4. http://www.gupmagazine.com/portfolios/pieter-hugo/permanent-error